मस्से का होम्योपैथिक इलाज और दवा  – Masse ka Homeopathic Ilaj ( Warts Treatment In Homeopathy )

मस्से का होम्योपैथिक इलाज में रोगी के मानसिक और सार्वदैहिक (comman) लक्षणों के आधार पर उसकी constitutional treatment की जाती है. इस प्रकार की चिकित्सा से मस्से दूर हो जाते हैं और दोबारा नहीं होते हैं। दोस्तो नीचे हम कुछ होम्योपैथिक दवाओं के लक्षण दे रहे हैं जिनके आधार पर होम्योपैथिक दवा का चुनाव करने से मस्सें दूर हो जाते हैं। पर इससे पहले हम जान लेते है कि हमे मस्से कैसे ओर क्यों होते है।

मस्से का होम्योपैथिक इलाज
Masse Ka Homeopathic Ilaj

मस्से क्या होते हैं और कैसे होता है  इनका होम्योपैथिक इलाज

दोस्तो मस्से काले (black) रंग और भूरे (brown) रंग के होते हैं। मस्से 10 से 12 तरह के हो सकते हैं। अगर मस्से को फोड़ दिया तो उनका पूरा virus हमारे शरीर में जाकर शरीर के कुछ हिस्सों पर effect कर देता है। मस्सों का virus एक इंसान से दूसरे इंसान की त्वचा पर भी चला जाता है। बता दें कि कुछ मस्से तो अपने आप ही ठीक हो जाते हैं और कुछ ऐसे होते हैं जिनका हमे इलाज करवाना ही पड़ता है। त्वचा पर अगर पेपिलोमा नाम का वायरस आजाये तो छोटे, खुरदुरे कठोर मस्से बन जाते हैं।

 

मस्से का होम्योपैथिक इलाज ( होम्योपैथिक दवा )-

1- थूजा (thuja) 30

मस्से का होम्योपैथिक इलाज – इस दवा के रोगी का चेहरा मोम (wax) जैसा समझदार होता है ऐसा लगता है मानो चेहरे पर चिकनाई पोत दी गई हो बाल काले और रूखे होते हैं रोगी मोटा सा साँवले रंग का बड़े पेट वाला होता है चेहरे से बीमार दिखता है बदन खासकर छाती और कमर बालों से भरा होता है हर ठंडे और चिपचिपे होते हैं क्योंकि रोगी चिरचिरा, इर्ष्यालु, जिद्दी झगड़ालू व भुलक्कड़ होता है वह चाय ज्यादा पीता है प्याज उसे नुकसान पहुंचाती है वह पेशाब के वेग को रोक नहीं पता है  उसे हमेसा कब्ज की समस्या रहती है। कुछ रोगियों को सुवह  के वक्त पतले पीले रंग के दस्त आते हैं पसीना सिर्फ बदन के खुले हिस्सों पर ही जाता है, जबकि डरते हुए हिस्से सोते रहते हैं लेकिन सिर्फ जो कि खुला होता है उस पर पसीना नहीं आता है सिर के अलावा सारे बदन पर पसीना आता है पसीना से सोते समय ही आता है जैसे कि रोगी जाता है फौरन सूख जाता है पसीने से मीठी या लहसुन जैसी smell आती है रोगी के दांतों की जड़ नष्ट हो जाती है लेकिन ऊपर का हिस्सा बिल्कुल ठीक रहता है रोगी को उचि जगह से नीचे गिरने के सपने आते हैं त्वचा गंदी दिखाई देती है यहां वहां भूरे सफेद धब्बे होते हैं शरीर के विभिन्न हिस्सों पर मस्से हो जाते हैं मस्से कटे-फटे गोभी के फूल की तरह अंजीर की तरह लटकने वाले होते हैं, मसूड़ों में दर्द नहीं होता है मस्से धीरे-धीरे बढ़ते हैं जननेंद्रिय (genital) पर अंजीर की तरह के मस्से होते हैं इन मस्सो में पतला रस निकलता है स्त्रियों में इस प्रकार के मस्से योनि के आसपास होते हैं गुदा के आसपास भी इस प्रकार के मस्से पाए जाते हैं मस्से गर्दन कमर, उंगलियां, चेहरा ठोडी, अंगूठे पर जननेंद्रिय (genital) पर निकलते हैं यह दवा दिन में दो बार 30 शक्ति मेले और सुबह शाम मस्सों पर इसका मूल अर्क (Q) लगाएं।

 

2- कॉस्टिकम (causticum) 30 –

थूजा (thuja) की तरह यह भी मस्सों को अत्यंत महत्वपूर्ण दवा है इस दवा का रोगी बड़ा sensitive, अन्याय से नफरत करने वाला, दूसरों से हमदर्दी रखने वाला, दूसरों की चिंता करने वाला होता है उसे नमक भुना मास खाना पसंद नहीं होता है मीठे मसे रोगी नफरत करता है. उसकी तकलीफ सुखी ठंडी हवा, साफ मौसम में बढ़ती है और नम मौसम में आराम रहता है चेहरा होठ, नाक की नोक, हाथ, हाथों की हथेलियों उंगलियों के सिरों पर पैर की उंगलियों पर मस्से निकलते हैं बच्चे बड़े  fleshy ओर hard होते हैं मस्सो से खून निकलता है छूने से मस्से दर्द करते हैं इस दवा को आप दिन में दो बार ले सकते हैं।

 

3- नाइट्रिक एसिड (nitric acid) –

इस दवा का रोगी बड़ा ही बदतमीज झगड़ालू जिद्दी निर्दई बेईमान शक्ति बदला लेने वाला होता है वह हमेशा असंतुष्ट रहता है वह इतना पथ्थर दिल होता है तुझसे नाराज हो जाता है उसके माफी मांगने पर भी उसे माफ नहीं करता है कोई उसकी बात काटे उसका विरोध करें कि उसे बर्दाश्त नहीं होता है जिस किसी ने उसे नुकसान पहुंचाने की कोशिश की हो उसे बरसो भी जाने पर वह नहीं भूलता है जिंदगी भर उसे माफ नहीं करता है मैं इतना रहस्यमई स्वभाव का होता है कि किसी भी अपने असली इरादों का पता चलने नहीं देता है। इन रोगी रोगियों के मस्से बड़े सख्त तेरे मेरे दर्द करने वाले होते हैं और धोने से उनके खून निकलता है मस्सो में से सुई चुभने जैसा दर्द होता है यह मस्से बड़ी तेजी से बढ़ते हैं मस्से चेहरे, पलको, हाथ, उंगलियां, गर्दन, कमर और स्त्री-पुरुष दोनों के जननेंद्रिय (genital) पर निकलते हैं।

 

4- कैलकेरिया कार्ब (calcaria carb) 30 –

रोगी मोटा तो थोड़ा और आलसी होता है वह शारीरिक मेहनत नहीं करता है जरा सी मेहनत करने से थक जाता है पसीने से तरबतर हो जाता है सांस फूलने लगती है उसे पसीना बहुत आता है सिर गर्दन कमर छाती शरीर के ऊपरी हिस्से पर पसीना ज्यादा आता है पसीने से खट्टी गंद (smell) आती है उसकी पेर हमेशा ठंडे और गीले से रहते हैं इतने ठंडे मानो उसके ठंडे गिले मोजे पहने हुए हो, उसके हाथ ठंडे और कोमल होते हैं वह अंडा, नमक, मिठाई और आइसक्रीम खाना पसंद करता है। खासकर चेहरे पर तथा शरीर के ऊपरी अंगों पर मस्से होते हैं मस्से मास्टर मुग्धा वाह छोटे होते हैं कई बार मस्से सूख जाते हैं और जख्म के रूप में बदल जाते हैं दर्द करते हैं मस्तु से पुराने पनीर जैसी गंध (smell) आती है।

 

5- सीपिया (sepia) 200-

रोगी दुबला पतला होता है चेहरे की हड्डियां उभरी हुई होती है, नाक लंबी और पतली होती है आंखें कोटरों से धसी हुई होती है रोगी बहुत उदासीन रहता है जरा जरा सी बात पर नाराज होने लगता है, हर चीज के प्रति लापरवाह हो जाता है, किसी चीज में उसे दिलचस्पी नहीं रहती है, घर बार छोड़कर कहीं दूर भाग जाना चाहता है, किसी के लिए उसके दिल में प्यार नहीं रहता है वह जिद्दी हो जाता है. अपनी बात का विरोध सहन नहीं कर सकता है। बिना कारण के रोने लगता है उसके हाथ गर्म तो पेर ठंडे रहते है. पेट में खालीपन का एहसास होता है खाना खा लेने के बाद भी उसे पेट खाली ही लगता है रोगी को दूध से नफरत होती है इनके रोगी के मस्से काले रंग के, चपटे, सख्त, बड़े होते हैं छोटे सिंह वाले किलदार, ठेडे-मेढ़े, मस्से भी होते हैं मस्सों में खुजली होती है मस्से ज्यादातर चेहरे बाएं गाल, हाथ, उंगलियों, genital या सिर्फ मुंह के आसपास, ठोडी पर गर्दन पर होते हैं. हर 15 दिन में 200 शक्ति की एक- एक खुराक ले ।

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