Kabj Ki Homeopathic Dawa

Kabj Ki Homeopathic Dawa अधिकतर लोगों को पेट साफ नहीं होने की शिकायत हमेसा बनी रहती है, क्योंकि जब पेट साफ नहीं होता तो कई तरह की बीमारियां होने समस्या रहती हैं। यदि कोई व्यक्ति एक हफ्ते में तीन-चार बार ही मल त्याग करता है, तो इस स्थिति को कब्ज की समस्या कहते है. इस स्थिति में रोगी मलाशय से मल को बाहर निकालने में कठिनाई और समस्या का सामना करता पड़ता है. कब्ज होने के दौरान व्यक्ति को भारीपन का एहसास होता है उसे पेट दर्द की समस्या भी हो सकती है।

Kabj Ki Homeopathic Dawa – कब्ज की होम्योपैथिक दवा – Homeopathic Medicine For Constipation 

( Kabj Ki Homeopathic Dawa ) कब्ज के कारण – कब्ज के कारण होने वाले रोग 

1- 24 घण्टे के ऊपर हो जाने पर मल त्याग न करना।

2- फाइबर से भरपूर भोजन न करना।

3- यूरिन को अधिक समय तक रोके रखने से भी कब्ज की समस्या हो सकती है।

4- प्रयाप्त नींद न लेने से।

5- कम खाना खाने से ।

6-  शारारिक श्रम न करने से।

7- बिना भूख के खाना खाने से।

8- धूम्रपान करने से ।

9- शराब पीने से ।

10- lever की बीमारी होने पर। 

 

कब्ज के लक्षण (symptoms) –

1- एक सप्ताह में तीन बार ही मल करना ।

2- गांठदार या ठोर मल का होना।

3- मल त्याग करने के लिए दबाव डालना।

4- आपको लगे जैसे आपके मलाशय में एक रुकावट है जो मल त्याग करने को रोक रहा हो। 

5- आपको लगे जैसे आप अपने मलाशय से पूरी तरह से खाली नहीं कर पा रहे हो।

6- अपने मलाशय को खाली करने में मदद की जरूरत है, जैसे कि अपने हाथों को अपने पेट पर दबाने के लिए और अपने मल से मल को हटाने के लिए उंगली का उपयोग करना।

 

कब्ज की होम्योपैथिक दवा – Kabj Ki Homeopathic Dawa 

1- नक्श वोमिका (nux vomica) 200, 1M – यह दवा उन लोगों के कब्ज के लिए उपयोगी है जो दिन भर बैठे बैठे काम करते हैं। शारारिक काम, व्यायाम जरा भी नहीं करते है या जो चाय, तंबाकू, शराब, नशीले पदार्थों का ज्यादा सेवन करते हैं। बार बार पाखाने की इक्छा होती है, लेकिन हर बार रोगी को पखना नही होता है, पेट पूरा साफ नही होता है, रोगी को इस लगता है की आंतो में पखना थोड़ा सा बाकी रह गया है।

इसलिए रोगी को बार बार पखना जाना पड़ता है अगर पखाना जाने की इच्छा ही ना हो तो कभी नहीं देनी चाहिए बार-बार पखाना जाने की इच्छा और हर बार थोड़ा पखाना होकर पेट पूरी तरह साफ ना होने की अनुभूति पर इस दवा का विशेष लक्षण है इस दवा को 30 शक्ति से कम कभी नहीं देना चाहिए। 200 शक्ति की या 1M(1000) शक्ति की सिर्फ एक खुराक देकर कुछ दिनों तक इंतजार करना चाहिए इस दवा का रोगी बेहद गुस्सैल, चिड़चिड़ा, झगड़ालू, स्वभाव और शांति (chilly) का होता है ओर रोगी को ठंड बर्दाश्त नहीं होती है।

 

2- ब्रायोनिया (bryonia) 30 – इस दवा का रोगी भी चिड़चिड़ा होता है, लेकिन वह hot का होता है। वह सूरज की गर्मी को बर्दाश्त नही कर सकता है। नक्स-वोमिका (nux-vomica) के रोगी को बार-बार पखाना जाने की इच्छा होती है तो ब्रायोनिया के रोगि को पाखाने की इक्छा ही नही होती। रोगी को खासकर  गर्म मौसम में कब्जियत होती है। पकाना सूखा, कड़ा,लंबा होता है मानो जला हुआ हो इस दवा की कब्जियत खुश्की की वजह से होती है और पाखाने की इच्छा नहीं होती है पखाना बड़ी मुश्किल से निकलता है बहुत जोर लगाना पड़ता है, कब्जियत के साथ अक्सर  सिर में दर्द रहता है जबान पर मोटा सफेद लैप जमा रहता है प्यास लगती रहती है एक बार में पेट पूरा साफ नहीं होता है।

 

3- एलुमिना (alumina) 30-  आंतों की खुश्की की वजह से पैदा हुई कब्जियत की यह प्रमुख दवा है रोगी को पखाना जाने की इच्छा बिल्कुल नहीं होती या कम होती है पखाना सख्त सुखा बकरी की मेंगनी की तरह गांठदार होता है। पखाना नरम भी हो सकता है पाखाने के लिए जोर लगाना पड़ता है और पखाना थोड़ा-थोड़ा और अलग-अलग टुकड़ों में निकलता है नरम और पतले पाखाने को निकालने के लिए जो लगाना पड़ता है पतले पाखाने को भी निकालने के लिए जोर लगाना पड़ता है यह इस दवा का विशेष लक्षण है।

बोतल से दूध पीने वाले बच्चों के कब्ज की यह एक बढ़िया दवा है बच्चों का पखाना इतना सूखा और सब तो होता है कि उनके मलद्वार से खून निकलता है गर्भावस्था की कब्जियत में भी यह दवा उपयोगी है जो लोग एलुमिनियम के बर्तन में खाना पका कर खाते हैं उनकी कब्जियत में भी यह दवा लाभदायक है इस दवा का रोगी आलू हजम नहीं कर सकता है आलू खाने से उसे कई तरह की शिकायतें हो जाती है.

 

4- ग्रैफाइटिस (graphitis) 30 – रोगी को कई दिन तक खाने की इच्छा नहीं होती और जब खाना होता है तो वह छोटी-छोटी गोलियों की तरह और गाँठदार होता है और आव से लिपटा होता है। पाखाने की गाँठे  सख्त ओर गोलियों की तरह होती है, लेकिन आव से लिपटी होने की वजह दे लंबी लेंड सी बन जाती है। सख्त पाखाने की वजह से मलद्वार में चीरा पड़ जाती है और पाखाने के बाद दर्द और जलन होती रहती है।

 

5- ओपियम (opium) 30 – रोगी को आंतों की निष्क्रियता (inactivity) की वजह से कब्जियत रहती है जिसकी वजह से पखाना करने की बिल्कुल इच्छा ही नहीं होती है पेट में काफी पखाना जमा रहता है फिर भी पकाना जाने की इच्छा तक नहीं होती है जब पकाना होता है तो कड़ा खुद काला तथा गोलियों जैसा होता है पकाना बाहर की और आकर फिर अंदर चला जाता है रोगी निंदासा (sleepy) रहता है और उसे चक्कर आते हैं बूढ़े लोगों का काम यात्रा के वक्त कब्ज और अफीम खाने वालों के कब्ज मैं यह दवा उपयोगी है।

 

6- प्लम्बम मेटाल्लिकम (plumbum metallicum) 30 – छापा खाने (printing press) या सीसे (lead) का काम करने वाले लोगों के कब्जे में यह दवा विशेष उपयोगी है क्योंकि यह दवा शीशे से बनाई जाती है कब्ज के साथ तेज पेट दर्द रहता है ऐसा लगता है कि पेट कमर की तरफ रस्सी से खींचा जा रहा है खाने की इच्छा होती है लेकिन पकाना बड़ी मुश्किल से निकलता है पकाना सख्त गोल गोटियो की तरह होता है तब तक गोल बूटियों की तरह का खाना पकाने की इच्छा और जोरदार पेट दर्द की दवा की विशेष लक्षण हैं।

 

7- सल्फर (sulphur) 200, 1M – कब्ज के साथ बवासीर की शिकायत होती है बार-बार खाने की इच्छा होती है लेकिन पखाना होता नहीं है पकाना कड़ा, सूखा और काले रंग का होता है, मानो जैसे जल गया हो तो खाना निकालने के लिए बहुत जोर लगाना पड़ता है। कई बार कब्ज और दस्त अटल बदल कर आते हैं मलद्वार में जलन और खुजली होती है और पाखाना हो जाने के बाद भी रोगी को लगता है कि आँतों में कुछ खाना बाकी रह गया है। इस दवा की 200 या उससे ऊपर की शक्ति में देना चाहिए और 15 दिन में या एक महीना होने के बाद दोहराना चाहिए।

 

8- नैट्रम मुर (natrum mur) 30 – ओम दुबले-पतले कमजोर धावक रोगियों के लिए यह दवा उपयोगी है जिनकी कब्ज की बीमारी पुरानी हो चुकी है। पखाना बड़े लैंड के रूप में होता है लेकिन टूट-टूट कर निकलता है कुछ दिन कब्ज रहने के बाद रोगी को पतले दस्त आते हैं माथे में दर्द रहता है ऊपर स्वाद खराब हो जाता है रोगी के चेहरे पर मुंहासे होते हैं तो भी रोगी नमकीन चीजें खाना ज्यादा पसंद करता है। 

 

 

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