Homeopathic Dawa In Hindi

Homeopathic Dawa In Hindi होम्योपैथी को लाक्षणिक चिकित्सा (लक्षणों के आधार पर की जाने वाली चिकित्सा (Symptomatic treatment) कहा जाता है. होम्योपैथी में किसी भी बीमारी की विशिष्ट खास (Specific) दवाइयां नहीं है। होम्योपैथी में रोग का नहीं बल्कि रोगी का इलाज किया जाता है। 

होम्योपैथी में बीमारी के नाम से दवा नहीं दी जाती। किसी भी बीमारी के हर दवा के अपने खास लक्षण होते हैं और उन लक्षणों के आधार पर ही दवा का चुनाव किया जाता है।Homeopathic Dawa In Hindi

Homeopathic Dawa In Hindi : होम्योपैथिक दवा कैसे बनती है

Homeopathic Dawa In Hindi – किसी बीमारी में यह देखा जाता है कि 

1- बीमारी शरीर के किस अंग में जैसे पेट,हाथ,पैर,कमर किस अंग में है यह देखा जाता है। 

2- यह भी देखा जाता है कि रोग उस अंग के दाएं हिस्से में है या बाएं हिस्से में।

3- दर्द है तो किस तरह का है? चुभने जैसा, डंक मारने जैसा, फाड़ने जैसा, तपकन जैसा, जलन जैसा, कुतरने वाला, बिजली के करंट जैसा, हथौड़े मारने जैसा, खींचने वाला आदि।

4- रोगी की तकलीफें क्या करने से बढ़ती है और क्या करने से कम होती है। 

उदाहरण- अगर कमर दर्द है तो यह दर्द कब बढ़ता है ? किसी का दर्द चलते रहने से बढ़ता है तो किसी का चलते रहने से कम हो जाता है। किसी का दर्द कमर के बल लेटने से कम होता है तो किसी का गर्व से देने से कम होता है। किसी का दबाने से कम होता है तो किसी का दर्द दबाने से बढ़ जाता है। किसी का दर्द झुकने से बढ़ जाता है तो किसी का दर्द आगे की तरफ झुकने से कम होता है। किसी का दर्द बांटने से बढ़ता है तो किसी का बैठने से कम होता है। Homeopathic Dawa In Hindi

 

5- कोई भी तकलीफ हो दिन में या रात में, कितने बजे बढ़ती है यह जानना भी बहुत ही जरूरी होता है।

6- प्रमुख शिकायत (main complaint) के साथ-साथ और कौन-कौन सी शिकायते है ? 

उदाहरण – अगर किसी को बुखार है तो यह उसकी प्रमुख शिकायत है। किसी को बुखार के साथ-साथ उल्टियां भी हो सकती है। किसी को सिरदर्द हो सकता है। किसी को दस्त हो सकते हैं तो किसी को कब्ज हो सकती है किसी को तेज प्यास हो सकती है तो किसी को प्यास बिल्कुल नहीं होती है।

कोई थोड़ी-थोड़ी देर में एक दो घूंट पानी पीता है तो कोई आधे पौन घंटे बाद पौना या पूरा गिलास पानी पीता है। किसी को सिर्फ ठंड लगते समय प्यास लगती है और बुखार के समय प्यास नहीं लगती, तो किसी को ठंड और बुखार दोनों समय प्यास होती है। किसी को आंखों में आंसू बहते हैं तो किसी को आंखों में जलन होती है। किसी को गले में दर्द होता है तो किसी को कान में किसी को बार बार पेशाब आती है तो किसी को दर्द या जलन के साथ बून्द-बून्द पेशाब आती है। Homeopathic Dawa In Hindi

 

7- Homeopathic Dawa In Hindi बीमारी का कारण जानना भी बहुत जरूरी होता है बीमारी चाहे जो हो क्या वह ठंडी हवा लगने से हुई है, ठंडे पानी में नहाने से हुई है, पसीना सूख जाने से हुई है, बरसात में भीग जाने से हुई है, ठंडे पानी पीने से हुई है, आइसक्रीम खाने से, फ्रिज में रखी ठंडी चीजें खाने पीने से, शरीर में कहीं चोट लगने से हुई है, तेज धूप में जाने से हुई है, किसी बीमारी के एलोपैथिक इलाज के बाद हुई है। कई बार एलोपैथिक दवाओं से त्वचा रोग मलेरिया, टाइफाइड,निमोनिया वगैरह दवा दिए जाने 

( जिसे एलोपैथ बीमारी ठीक होना कहते है ) से कई बीमारियां हो जाती है। इस प्रकार बीमारी का कारण जानना जरूरी है।

इन सब लक्षणों के आधार पर दवा का चुनाव किया जाता है। इसलिए रोगी से इन सब के बारे में विस्तार से पूछ लेना चाहिए। सिर्फ एक दो लक्षणों के आधार पर दवा देने से असफलता ही हाथ लगती है।Homeopathic Dawa In Hindi

 

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