Hastmaithun Ke Nuksan

Hastmaithun Ke Nuksan अपने हाथ से लिंग को हिलाकर संभोग का आनंद लेने की क्रिया को हस्तमैथुन कहते हैं। यह काम युवक-युवतियों दोनों हो करते हैं। लड़के जब यह काम रोज करने लगते हैं तो थोड़े ही दिनों में लिंग में ढीलापन आ जाता है और वे युवक स्त्रियों के योग्य नहीं रहते। इस बुरी आदत की वजह से उनके चेहरे की चमक-दमक खत्म हो जाती है। उनका चेहरा पीला पड़ जाता है, आँखें अंदर धंस जाती हैं, आँखों के चारों ओर काले घेरे पड़ जाते हैं, आँखों के आगे अंधेरा छाने लगता है, चिंगारिया सी दिखाई देने लगती हैं, चक्कर आने लगते हैं, सिरदर्द रहने लगता है, स्मरणशक्ति कमजोर होने लगती है, कम सुनाई देने लगता है। अगर यह आदत न छूटी तो अंत में नामर्दी (नपुंसकता) आ जाती है।

Hastmaithun Ke Nuksan हस्तमैथुन (Masturbation) – Hastmaithun ki homeopathic medicine

Hastmaithun Ke Nuksan
होम्योपैथिक दवाइयां

हस्तमैथुन की होम्योपैथिक दवाइयां – Hastmaithun ki homeopathic medicine

दोस्तो, अगर आप Hastmaithun Ke Nuksan हस्तमैथुन से होने वाली संमस्या से परेशान है तो आप नीचे दी गयी होम्योपैथिक दवाइयों के लक्षणों के आधार पर उन्हें दवाइयों का सेवन कर सकते हैं।

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1- ओरिगैनम मर्जोरम (Origanum marjoram) 3 : Hastmaithun se aayi kamzori ka ilaj homeopathic

Hastmaithun Ke Nuksan पुरुषों की हस्तमैथुन और स्त्रियों की अंगुली मैथुन की आदत को यह दवा छुड़ाने में सफल सिद्ध हुई है। हस्तमैथुन (स्त्रियों में अंगुली मैथुन) की जबरदस्त इच्छा और कामांगों (sexual organs) की उत्तेजना (excitement) इस दवा के विशेष लक्षण हैं। खाने के आधा या एक घंटा पहले इस दवा को देना चाहिए। Hastmaithun Ke Nuksan

 

2- अस्टिलैगो (Ustilago) 3 : 

हस्तमैथुन की अदम्य (uncontrolable desire) इच्छा को दूर करने की शक्ति इस दवा में है। यह दवा हस्तमैथुन की आदत को छुड़ाती है। रोगी संभोग संबंधित सपने देखता है, जिसकी वजह से नींद में ही वीर्यपात हो जाता है। रोगी हस्तमैथुन किए बिना नहीं रह सकता है। रोगी की कमर में धीमा-धीमा दर्द रहता है। रोगी को लगता है कि उसकी कमर में खोलता हुआ पानी बह पर है। रोगी चिड़चिड़ा और निराश रहता है। Hastmaithun Ke Nuksan

 

3- स्टेफीसेग्रिया (Staphisagria) 200 : 

इस दवा का रोग दिन रात कामवासना, स्त्री सहवास के विषय में सोचा करता है, ख्याली (काल्पनिक) तौर संभोग का मज़ा लेता है और इच्छापूर्ति के लिए हस्तमैथुन किया करता है। वह जानता है कि हस्तमैथुन करना गलत काम है। उसे हमेशा ऐसा लगता है कि लोग उसकी इस आदत के बारे में जान गए हैं, इसलिए वह शर्म की वजह से उनसे आँख मिलाकर बात नहीं कर सकता।

हस्तमैथुन की आदत की वजह से उसका चेहरा फिका पड़ जाता है, आँखें अंदर धंस जाती हैं। उसका मिजाज चिड़चिड़ा हो जाता है। जरासी मेहनत से उसे थकान होने लगती है। किसी काम में उसका मन नहीं लगता। उसको स्मरण शक्ति कमजोर हो जाती है। कमर में दर्द रहने लगता है। टाँगों में कमजोरी आ जाती है। फोतो में खुजली होती है। संभोग की इच्छा तो बहुत रहती है, लेकिन अति-वीर्यनाश के कारण लिंग में कमजोरी आ जाती है और नामर्दी (impotency) आ जाती है। Hastmaithun Ke Nuksan

 

4- फास्फोरिक एसिड (Phosphoric acid) Ix, 2x, 3x :

हस्तमैथुन की आदत की वजह से इसका रोगी कमजोर हो जाता है। उसके हाथ-पैर कॉपते हैं, दिल धड़कता है, सिर के बाल झड़ने लगते हैं और सफेद हो जाते हैं, आँखों के नीचे काले घेरे नज़र आते हैं, चेहरा बीमारों जैसा लगता है। जवानी में ही बूढ़ों जैसी हालत हो जाती है। सिर दर्द रहने लगता है। रात में पसीना आता है। रोगी T.B. का शिकार हो जाता है। Hastmaithun Ke Nuksan

एक रात में कई बार स्वप्नदोष हो जाना इस दवा का विशेष लक्षण है। | पाखाना करते वक्त वीर्यस्राव होता है। रोगी हमेशा उदास रहता है। हस्तमैथुन की आदत की वजह से वह हमेशा शर्मिंदा रहता है, किसी से आँख मिलाकर यात नहीं कर सकता। हमेशा बिस्तर में पड़े रहना चाहता है। कोई काम नहीं करना चाहता। किसी से मिलना-जुलना पसंद नहीं करता। यह दवा निम्न शक्ति में ही ज्यादा लाभदायक है।

 

5- सेलेनियम (Selenium) J0, 200 :

हस्तमैथुन की ज्यादती की बस। से हो की जवानी में ही बुढो जैसी हालत हो जाती है। हाथ-पैर कॉपने लगते है, चक्कर आते है, जरासी मेहनत से थकान आ जाती है, सिर के बाल झडने लगते है। रोगी किसी प्रकार का मानसिक कार्य नहीं कर सकता। नींद में, सपने में, हालत में, चलने-फिरने में, पेशाब या पाखाने के बाद अनजाने में थोड़ा-थोड़ा वीर्य निकला करता है. Hastmaithun Ke Nuksan

 

6- चायना (China) 200 : 

हस्तमैथुन की अधिकता के कारण रोगी बे कमजोर हो जाता है। उसकी नसें बेजान हो जाती हैं, चेहरे पर झुरियां पड़ जाती है, आँखें अंदर धंस जाती हैं, आंखों के नीचे काले घेरे पड़ जाते हैं, चेहरा पीला हो जाता है, दिल धड़कता है। स्वभाव चिड़चिड़ा हो जाता है। वह उदास रहने लगता है। किसी से बातचीत करने या कोई काम करने का मन नहीं करता। वह किसी के आँखें मिलाकर बात नहीं कर सकता।

अकेला रहना चाहता है। किसी चीज में उसका दिल नहीं लगता। थोड़ा सा खाने पर भी उसका पेट फूल जाता है। कान में भनभनाः या पंटो बजने की आवाज सुनाई देती है। रात के वक्त पसीना आता है जिस् कमजोरी महसूस होती है। रोगी का एक हाथ बर्फ जैसा ठंडा और दूसरा गर्म रहता है। पाखाना करते समय वीर्य निकलता है।

 

7- नक्स वोमिका (Nur vomica) : 

जिन रोगियों को हस्तमैथुन की आदत पड़ जाती है उन्हें सुबह के वक्त स्वप्नदोष होता है, माथे और कमर में दर्द रहता है, कब्जियत रहती है। इसका रोगी चेहरा चिड़चिड़ा, गुस्सैल, झगड़ालू होत है। वह खाने के बाद निंदासा हो जाता है। सुबह तीन बजे उसकी आंखे खुल जाती है और फिर वह सो नहीं सकता है। 

 

8- कोनियम (Conium) 30, 200 : 

अत्यधिक हस्तमैथुन के कारण रोग का वीर्य पतला हो जाता है। औरतों की तरफ देखने से या उनके बारे में सोचने से ही अपनेआप वीर्य निकल जाता है। सोने पर, इधर-उधर सिर हिलाने पर, करवट बदलने पर रोगी को चक्कर आते हैं।

 

9 -जेल्सेमियम (Gelsemium) 3:

हस्तमैथुन की ज्यादती की वजह से कुछ समय बाद रोगी की ऐसी हालत हो जाती है कि उसे विना ‘सेक्स’ संबंधी सपनो के, बिना लिंग में उठान आए ही वीर्यपात निकलने लगता है। पाखाना करते समय की निकलने लगता है। कामांग (sexual organs) ठंडे और ढीले रहते हैं। फोतो पर लगातार पसीना आता है। रोगी हमेशा थका-थका सा और उनींदा (drowsy) रहता की Hastmaithun Ke Nuksan

है, लगता है कि नशे में है। चलते वक्त उसकी टाँगे काँपती हैं। किसी चीज़ को उठाते वक्त उसके हाथ कांपते हैं। उनींदापन के साथ चक्कर आते हैं। सिर की गुदूदी (पिछला हिस्सा) भीमा-धीमा दर्द होता है। उसे प्यास नहीं लगती। 

 

10- कैलेडियम (Caledium) 3x, 30, 200 :

हस्तमैथुन की वजह से वीर्य इतना पतला हो जाता है कि जब वह राह चलते किसी लड़की हो देखता है तो उसका वीर्य अपनेआप निकलता रहता है। रोगी के फोतों पर पसीना आता है। रोगी बेहद भुलक्कड़ हो जाता है। उसकी स्मरणशक्ति भी बहुत ही कमजोर हो जाती है। Hastmaithun Ke Nuksan

वह मानसिक श्रम (दिमागी काम) नहीं कर सकता, किसी विषय पर एकाग्रचित्त (concentrate) होने की वह जितनी कोशिश करता है उस विषय से वह उतना ही दूर हो जाता है और उसे दिमागी थकान होने लगती है। इस दवा की जिन रोगियों को जरूरत होती है उनका पसीना मीठा होता है, जिसकी वजह से उनके शरीर पर मक्खियाँ बार-बार आकर बैठा करती हैं।

 

11- बफो राना (Bufo rana) 200, 1000 : 

बहुत ज्यादा हस्तमैथुन किए जाने की वजह से रोगी को ऐंठन या मिर्गी के दौरे पड़ने लगते हैं। मिर्गी के दौरे के बाद रोगी सो जाता है। Hastmaithun Ke Nuksan

 

12- एगनस कास्टस (Agnus castus) 6, 30, 200 : 

बहुत ज्यादा हस्तमैथुन करने की वजह से जिनकी हालत जवानी में बूढ़ों जैसी हो है, उनके लिए यह दवा लाभदायक है। इन लोगों का शरीर कमजोर हो जाता है। रोगी हमेशा थका-थका सा महसूस करता है। स्मरणशक्ति कमजोर हो जाती है।

किसी बात को एक बार सुनकर या पढ़कर वे समझ नहीं पाते। वे इतने भुलक्कड़ हो जाते हैं कि दुकान पर किसी चीज़ को खरीदकर वहीं छोड़ आते हैं या चीज़ लेकर उसके पैसे देना भूल जाते हैं। इनका लिंग ठंडा और ढीला हो जाता है। आत्महत्या के विचार मन में आते हैं। रात में खाँसी और पसीना आया करता है। किसी तरह की त्वचा की बीमारी न होने पर भी बदन खुजलाया करता है। Hastmaithun Ke Nuksan

 

13- बेलिस परेन्निस (Bellis perennis) 30, 200 : 

हस्तमैथुन की आदत की वजह से पूरे बदन में चोट लगने, मोच आने और कुचल जाने की तरह हाता है। सुबह तीन बजे के आस-पास आँख खुल जाती है फिर दोबारा नींद नहीं आती है।

 

14- नुफर ल्युटियम (Nuphar leuteum) 3, 6:

लिंग एकदम ढीला और सुकड़ा रहता है। ‘सेक्स’ संबंधी बातें भी लिंग में हरकत और उठान पैदा नहीं कर पाती है।

 

Note : Hastmaithun Ke Nuksan

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